Tuesday, 30 October 2018

What is Dividend in Hindi? Dividend kya hota h ?

                Share Market in Hindi की इस Series में आप Dividend kya hota hai ? के बारे में पढ़ेंगे । क्योंकि बहुत सारे लोग सिर्फ उस Company में पैसा Invest करते हैं जो Company ज्यादा Dividend देती है । अगर आप भी अपने पैसे को Dividend के Base पर Invest करना चाहते हैं तो पहले ये जान लीजिए कि Dividend hota kya hai ? Dividend को Investors इसलिए भी पसंद करते हैं क्योंकि इससे प्राप्त Income Tax Free होती है । अगर कोई Company ज्यादा Dividend Pay कर रही है तो इसका मतलब Company is Well (अच्छी) है और वो Good Profit Earn (कमा) कर रही है । अगर कोई Company लंबे समय से Dividend Pay कर रही है परंतु वह Dividend को कम करती जा रही है तो इसका मतलब Company का Profit कम होता जा रहा है और Company कभी भी घाटे में जा सकती है । और जब भी High Dividend Paying Company अपने Dividend को कम करती है तो इससे Shareholders को ऐसा लगने लगता है कि Company का Profit कम होता जा रहा है और वो shares को बेचना शुरू कर देते हैं जिससे Company के Share की Price नीचे चली जाती है । लेकिन यह जरूरी नहीं है कि अगर कंपनी Dividend को कम कर रही है तो वह संकट में हो, क्योंकि कई बार Company अपने उस पैसे को कहीं अच्छी जगह Invest करके अपने Bussiness की Growth में लगा देती है । 

Dividend कंपनी की कमाई का वह हिस्सा होता है जो Shareholders के बीच में बाँट दिया जाता है । Dividend को नकद (Cash) के रूप में, कंपनी के share या अन्य किसी रूप में दिया जा सकता है । लेकिन ज़्यादातर कंपनी नकद यानि कि Cash के रुप में ही Dividend देती है। कंपनियों के अलावा, कई mutual Fund और ETF (Exchange Traded Fund) भी Dividend देते हैं । 


दूसरे शब्दों में कहें तो, Dividend का अर्थ है लाभांश यानी कि लाभ का अंश । इसे Share पर लाभ भी कह सकते हैं । जब कंपनी को लाभ हो जाता है तो वो उस लाभ में से कुछ पैसा कंपनी की Growth में लगा देती है और कुछ पैसा उन Investor को देती है जिन्होंने कंपनी के Share खरीदे हैं। Dividend को Share की Face Value पर दिया जाता है ना कि Share की Market Price पर । 

               
     Company को जब Profit होता है तो Shareholders को Dividend दिया जाता है । यह भी जरूरी नहीं है कि हर Profit में रहने वाली कंपनी आपको Dividend देगी, वो इस पैसे को Company का Business Growth करने में भी लगा सकती है । कई बार Company बिल्कुल थोड़ा Profit होने पर भी Dividend दे देती है क्योंकि वे अपने नियमित Dividend देने के Record को बनाए रखना चाहते हैं । 
            Dividend कितने समय बाद और किस दर से देना है, यह सब Company के Director देखना होता है । 

क्या Dividend देने से Company पर असर पड़ता है ? - जी हाँ, Dividend देने से Company पर असर पड़ता है । क्योंकि यह पैसा Company के Bussiness से हमेशा के लिए बाहर हो रहा है ।

फिर दिमाग में एक सवाल उठता है कि Company Dividend देती क्यों    है ? -अगर कोई Company Dividend दे रही है तो समझा जाता है कि Company ठीक तरह से काम कर रही है और इससे Investor का Company पर विश्वास बना रहता है । अब सवाल दिमाग में यह उठता है कि Investor से Company को क्या फायदा है ? इस सवाल का उत्तर जानने के लिए आप



 कंपनी अपने Share क्यों बेचती है
वाली Post को पढ़ सकते हैं ।

इन्हें भी जरूर पढ़ें :
                          Stock Split क्या है ?
                         अगर शेयर बाजार में Loss हो गया है तो उसे कैसे Recover करें ?


Dividend से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण तारीखें
  1.  Announcement Date - इस दिन Company के Management द्वारा Dividend को Announce किया जाता है । 
  2. Ex-Dividend Date - यह वो तारीख या दिन होता है यदि उस तारीख के बाद और उसी तारीख वाले दिन यदि कोई Shareholder कंपनी के Share खरीदता है तो उसको Dividend नहीं मिलेगा । उदाहरण के लिए, मान लो Ex-Date 01 दिसम्बर है और कोई Shareholder 01 दिसम्बर को या उसके बाद अगर Company के Share खरीदता है तो उसको Dividend नहीं मिलेगा । 
  3. Record Date- यह वो तारीख होती है जिस दिन Company अपने Shareholders को यह बता देती है कि किस - किस को Dividend मिलेगा । 
  4. Payment Date - इस दिन Dividend का पैसा Shareholders के Bank Account में डाल दिया जाता है । 

Dividend की कुछ Main Term इस प्रकार हैं :


  1. Interim Dividend - जब कोई Company वर्ष के बीच में Dividend देती है तो उसे Interim Dividend कहते हैं 
  2. Final Dividend - यह Dividend वर्ष के अंत में दिया जाता है . 
  3. Special Dividend - कई बार Company Tax बचाने के लिए भी Dividend देती है, इसे Special Dividend कहते हैं . इससे कंपनी और Shareholders दोनों को फायदा होता है .
  4. Cum Dividend और Ex Dividend ये दोनों Dividend का संबंध एक निश्चित तारीख से होता है .

जब कोई Investor Ex Dividend Date से पहले यानि की एक निश्चित तारीख से पहले Shares को Buy करता है तो उसे Cum Dividend कहते हैं और वह Dividend का हक़दार होता है परन्तु जो Investors उस निश्चित Date के बाद अगर Shares को Buy करता है तो उसे Dividend नहीं मिलता . और इसे Ex Dividend कहते हैं . 

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Thursday, 25 October 2018

Engulfing Pattern kya hai?

सबसे पहले तो Engulfing in Hindi में हम आपको Engulfing का मतलब बता देते हैं कि Engulfing किस बीमारी का नाम है . यह दो Candles से बना एक Pattern होता है . इसमें पहली Candle छोटी और दूसरी Candle बड़ी होती है . दूसरी Candle इतनी बड़ी होती है कि वह पहली वाली Candle को पूरी की पूरी निगल जाए . दरअसल, Engulfing का मतलब ही निगलना होता है .
जैसा की आप जानते ही हैं कि हर एक कैंडल शेयर की कीमत के बारे में बहुत कुछ बोल देती है और अगर कैंडल का पैटर्न बन रहा हो तो फिर तो मजा़ ही आ जाता है। आज हम जिस पैटर्न की बात करेंगे वो है एनगलफिंग कैंडलस्टिक पैटर्न। बहुत से ट्रेडर इस पैटर्न को देखकर ही अपनी ट्रेड लेते हैं। यह पैटर्न दो कैंडल से मिलकर बनता है। इसमें पहली कैंडल छोटी होती है और दूसरी कैंडल बड़ी होती है। यह पैटर्न ट्रेंड के हिसाब से दो प्रकार का होता है। इन दोनों को आप यहाँ नीचे से पढ़ सकते हैं :-



Bullish Engulfing Pattern क्या होता है ?
                        

ज़्यादातर Trader Candlestick Chart को देखते हैं क्योंकि हर एक Candle शेयर की Price के बारे में बहुत कुछ बोलती है । उन Candlesticks Pattern में से एक Candlestick Pattern है Bullish Engulfing Pattern जिस पर Maximum Trader अपनी Trade लेते हैं।

यह Candlestick Pattern तेजी का सिग्नल माना जाता है । यह दो Candles से मिलकर बनता है । इसमें पहली Candle Bearish होगी तथा दूसरी Candle Bullish होगी । Bearish Candle का Size छोटा होता है तथा Bullish Candle का Size बड़ा होता है । जो Bullish Candle है वो Bearish Candle को पूरी तरह से Cover कर लेती है, इसलिए इसको Engulfing Pattern बोला जाता है ।

यह Pattern एक Strong Downtrend के बाद ज्यादा असरदार होता है । अगर यह Pattern किसी Trend के बीच में नजर आए तो हमें यह Ignore कर देना चाहिए । जब Strong Downtrend के बाद यह Pattern बनता है तो इस Pattern को देखकर बहुत से Buyer उस Stock में घुस जाते हैं, जिसके कारण Stock की Price बढ़ जाती है ।
अगर किसी Support के नजदीक यह Pattern बनता है तो भी Buyer इसमें Seller पर हावी हो जाते हैं।

Condition for This Pattern 

  1. यह candlestick Pattern Downtrend के बाद बनना चाहिए । 
  2. इसमें पहली Candle का Open, Candle के Close से ज्यादा होता है । 
  3. दूसरी Candle का Open पहली Candle के Close के नीचे या बराबर होता है तथा दूसरी Candle का Close पहली Candle के Open से ज्यादा होगा । 
इस Pattern में Engulfing Candle जितनी बड़ी होगी, इस Pattern की Strength उतनी ज्यादा होगी । Bearish Candle के बाद जब यह Engulfing Bullish Candle बनती है तो इसका मतलब होता है कि Bull का Bear पर Attack शुरू हो गया है । 
कभी भी अकेले इस Pattern के आधार पर Trade ना लें, इस Pattern के साथ में कोई दूसरा Indicator भी प्रयोग करें । जब वह Indicator भी सिग्नल दे रहा हो तो हमें Trend Reversal की Confirmation हो जाती है और हम Trade ले सकते हैं ।


Bearish Engulfing Pattern क्या होता है ?
                                    

यह Candlestick Pattern शेयर की गिरावट  का सिग्नल माना जाता है । यह दो Candles से मिलकर बनता है । इसमें पहली Candle Bullish होगी तथा दूसरी Candle Bearish होगी । Bullish Candle का Size छोटा होता है तथा Bearish Candle का Size बड़ा होता है । जो Bearish Candle है वो Bullish Candle को पूरी तरह से Cover कर लेती है, इसलिए इसको Engulfing Pattern बोला जाता है ।

यह Pattern एक Strong Uptrend के बाद ज्यादा असरदार होता है । अगर यह Pattern किसी Trend के बीच में नजर आए तो हमें यह Ignore कर देना चाहिए । जब Strong Uptrend के बाद यह Pattern बनता है तो इस Pattern को देखकर बहुत से Seller उस Stock को बेचने लग  जाते हैं, जिसके कारण Stock की Price घट  जाती है ।
अगर किसी Resistance के नजदीक यह Pattern बनता है तो भी Seller  इसमें Buyer पर हावी हो जाते हैं ।




Condition for This Pattern 

  1. यह Candlestick Pattern Uptrend के बाद बनना चाहिए । 
  2. इसमें पहली Candle का Open, Candle के Close से कम  होता है । 
  3. दूसरी Candle का Open पहली Candle के Close के ऊपर  या बराबर होता है तथा दूसरी Candle का Close पहली Candle के Open से नीचे  होगा । 
इस Pattern में Engulfing Candle जितनी बड़ी होगी, इस Pattern की Strength उतनी ज्यादा होगी । Bullish Candle के बाद जब यह Engulfing Bearish Candle बनती है तो इसका मतलब होता है कि Bear का Bull पर Attack शुरू हो गया है । 
कभी भी अकेले इस Pattern के आधार पर Trade ना लें, इस Pattern के साथ में कोई दूसरा Indicator भी प्रयोग करें । जब वह Indicator भी सिग्नल दे रहा हो तो हमें Trend Reversal की Confirmation हो जाती है और हम Trade ले सकते हैं ।



सिर्फ इसी पैटर्न के बजाय हमें ट्रेड लेने से पहले किसी दूसरे इंडिकेटर को भी देख लेना चाहिए ताकि दो इंडिकेटर का मेल होने पर हमारी ट्रेड सही जा सके ।

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Tuesday, 23 October 2018

indicator kya hai ( What is Indicator in Market In Hindi )

Market Indicator (मार्केट इंडिकेटर)  यह हमें किसी भी script ( Share ) के trend के बारे में बताते हैं कि अब उस  Share की कीमत ऊपर जाने वाली  है या नीचे आने वाली है । कुछ Indicator हमें Fundamental Base पर बताते हैं तो कुछ Technical Base पर ।

अगर सीधी सी भाषा में बात करें तो जिस प्रकार कोई भी Vehicle (साधन ) को ठीक तरह से चलाने के लिए हमें कुछ Indicators का प्रयोग करना पड़ता है, जैसे कि हमने Left Turn लेना है तो Vehicle में से किस चीज़ को दबाना है, Right Turn लेना है तो किस बटन को, अगर एकदम से गाड़ी रोकनी है तो क्या सिग्नल देना है। इस प्रकार ये सभी Indicators ही तो हैं जो हमें गाड़ी को ठीक तरह से चलाने में मदद करते हैं । Indicators को हम सिग्नल भी कह सकते हैं ।



Fundamental Indicators - कुछ Indicators हमें Company की आर्थिक स्थिति के बारे में बता देते हैं । जैसे company की Total Annual Income कितनी है । उनकी Sale कितनी हुई है । कंपनी पर कितना कर्ज है । ये सब Fundamental कहलाता है ।



लेकिन हम यहाँ कुछ और Indicators की बात कर रहे हैं । जैसे - EPS, P/E Ratio, PEG, P/B Ratio, Dividend Yield, Dividend Payout Ratio, Return on Equity. इन सभी चीजों को आप यहाँ हमारे इस ब्लॉग में पढ़ सकते हो, लेकिन इसके लिए आपको इंतजार करना पड़ेगा । क्योंकि हमारा सोचना है कि Reader को बढ़िया Content देना । इसलिए हमें समय लगता है । हम यहाँ हर एक Post में समय समय पर अच्छा बदलाव करते रहते हैं इसलिए आप समय लगने पर सभी Posts को दोबारा पढ़ते रहें ।

Technical Indicator - ये Indicators स्टॉक के Chart पर आधारित होते हैं । Chart में बदलाव आने पर Indicators में बदलाव आ जाता है ।
Technical Indicators दो प्रकार के होते हैं - 1. Leading Indicators 2. Lagging Indicators




 Leading Indicators - यह Indicators उस स्टॉक की कीमत में बदलाव आने से पहले हमें Signal दे देते हैं कि अब Stock की कीमत गिरने वाली है  या ऊपर जाने वाली है । RSI, Stochastics Oscillator, CCI आदि ।

 Legging Indicators - यह Indicators उस स्टॉक की कीमत में बदलाव आने के बाद  हमें Signal दे देते हैं कि अब Stock की कीमत गिरने वाली है  या ऊपर जाने वाली है । Moving Average, MACD आदि ।

अभी भी इस Post में और लिखा जाना है...................


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Sunday, 7 October 2018

Trade Deficit क्या है और इसका शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता है ।

आयात और निर्यात के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं ।  जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो उसे ट्रेड डेफ़िसिट कहते हैं । हिन्दी में इसको व्यापार घाटा कहते हैं । इसका अर्थ यह हुआ कि वह देश अपने यहाँ ग्राहकों की जरूरत को पूरा करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पा रहा है, इसलिए उसे दूसरे देशों से इन वस्तुओं का आयात करना पड़ रहा है ।
                   
                       इसके विपरीत, जब कोई देश आयात की तुलना में निर्यात अधिक करता है तो उसे ट्रेड सरप्लस कहते हैं ।
उदाहरण के लिए, साल 2017-18 में भारत ने लगभग 238 देशों और शासनाधिकृत क्षेत्रों के साथ कुल 769 अरब डॉलर का व्यापार किया जिसमें 465 अरब डॉलर आयात और 303 अरब डॉलर निर्यात शामिल है । इस तरह इस साल में भारत का व्यापार घाटा 162 अरब डॉलर रहा । सबसे ज्यादा व्यपार घाटा भारत का पड़ोसी देश चीन के साथ रहा । इसका मतलब यह है कि चीन के साथ व्यापार भारत के हित में कम और पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अधिक फायदेमंद है ।



       चीन की तरह स्विटजरलैंड, सऊदी अरब,इराक, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, ईरान, नाइजीरिया, क़तर, रूस, जापान और जर्मनी जैसे देशों के साथ भी भारत का व्यापार घाटा अधिक है ।

                         अगर हम ट्रेड सरप्लस की बात करे तो अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस सर्वाधिक है । इसका मतलब है कि हमारा देश अमेरिका से आयात कम और निर्यात ज्यादा करता है ।

अर्थशास्त्रियों का मत है कि अगर किसी देश का व्यापार घाटा लगातार कई साल तक कायम रहता है तो उस देश की आर्थिक स्थिति खासकर रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा । चालू खाते के घाटे पर भी व्यापार घाटे को नकारात्मक असर पड़ता है । असल में चालू खाते में एक बड़ा हिस्सा व्यापार संतुलन का होता है । व्यापार घाटा बढ़ता है तो चालू खाते का घाटा भी बढ़ जाता है । चालू खाते का घाटा विदेशी मुद्रा के देश में आने और बाहर जाने के अंतर को दर्शाता है ।
                               व्यापार घाटे के बढ़ने की खबर आते ही शेयर बाजार में गिरावट आ जाती है और व्यापार घाटा के घटने की खबर से शेयर बाजार में चढ़ाव आ जाता है । 

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