Sunday, 7 October 2018

Trade Deficit क्या है और इसका शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता है ।

आयात और निर्यात के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं ।  जब कोई देश निर्यात की तुलना में आयात अधिक करता है तो उसे ट्रेड डेफ़िसिट कहते हैं । हिन्दी में इसको व्यापार घाटा कहते हैं । इसका अर्थ यह हुआ कि वह देश अपने यहाँ ग्राहकों की जरूरत को पूरा करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पा रहा है, इसलिए उसे दूसरे देशों से इन वस्तुओं का आयात करना पड़ रहा है ।
                   
                       इसके विपरीत, जब कोई देश आयात की तुलना में निर्यात अधिक करता है तो उसे ट्रेड सरप्लस कहते हैं ।
उदाहरण के लिए, साल 2017-18 में भारत ने लगभग 238 देशों और शासनाधिकृत क्षेत्रों के साथ कुल 769 अरब डॉलर का व्यापार किया जिसमें 465 अरब डॉलर आयात और 303 अरब डॉलर निर्यात शामिल है । इस तरह इस साल में भारत का व्यापार घाटा 162 अरब डॉलर रहा । सबसे ज्यादा व्यपार घाटा भारत का पड़ोसी देश चीन के साथ रहा । इसका मतलब यह है कि चीन के साथ व्यापार भारत के हित में कम और पड़ोसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अधिक फायदेमंद है ।



       चीन की तरह स्विटजरलैंड, सऊदी अरब,इराक, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, ईरान, नाइजीरिया, क़तर, रूस, जापान और जर्मनी जैसे देशों के साथ भी भारत का व्यापार घाटा अधिक है ।

                         अगर हम ट्रेड सरप्लस की बात करे तो अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस सर्वाधिक है । इसका मतलब है कि हमारा देश अमेरिका से आयात कम और निर्यात ज्यादा करता है ।

अर्थशास्त्रियों का मत है कि अगर किसी देश का व्यापार घाटा लगातार कई साल तक कायम रहता है तो उस देश की आर्थिक स्थिति खासकर रोजगार सृजन, विकास दर और मुद्रा के मूल्य पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा । चालू खाते के घाटे पर भी व्यापार घाटे को नकारात्मक असर पड़ता है । असल में चालू खाते में एक बड़ा हिस्सा व्यापार संतुलन का होता है । व्यापार घाटा बढ़ता है तो चालू खाते का घाटा भी बढ़ जाता है । चालू खाते का घाटा विदेशी मुद्रा के देश में आने और बाहर जाने के अंतर को दर्शाता है ।
                               व्यापार घाटे के बढ़ने की खबर आते ही शेयर बाजार में गिरावट आ जाती है और व्यापार घाटा के घटने की खबर से शेयर बाजार में चढ़ाव आ जाता है । 

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